शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

बिल्कुल सूर्य के समान है गाय।

बिल्कुल सूर्य के समान है गाय।

बिन कुछ लिये हमें देते रहने का ही काम।

समुद्र मंथन से प्रकटी - मनुष्य का सौभाग्य जगाने के लिये।

गोबर, गोमूत्र, दूध - अमृत।
*ऐसा कोई देवता नही, ऐसा कोई ग्रह नही जिसकी पीड़ा को गाय माता समाप्त न कर सकती हों।*

*ऐसा कोई पितृ दोष नही जिसे गाय के माध्यम से समाप्त न किया जा सके।*

गाय है तो ही भारत है।
ओर गाय जीवित रही तो विश्वास मानिये, भारत सोने की चिड़िया नही शेर बनेगा।

अंसख्य लोगों मे भला करती गाय।
मनुष्य की माँ समान सभी गुण गोदुग्ध में समाहित हैं।

जहां गायें रहती है, वहाँ ज़मीन में पानी का स्तर बढ़ जाता है।

यह एक गाय की महिमा। यदि अनेक गायें हो तो कितना कुछ मानवता का भला होता है।

*हे मानव! उस प्राणी को कभी मत मार, जिससे हज़ारों लोगों का भला होता हो।*

ऐसा प्राणी -
जैसा कहे, वैसा करे।
जहां खड़ा रखे - वहां खड़ा रहे।
जिधर बांधे - बंधी रहे।
घास खाये - अमृत समान दूध देवे।
मालिक की रक्षा करे।
देवताओं से वरदान दिलवाए।
स्वास्थ्य खराब हो - तो जंगल मे जा वो जड़ीबूटी खा कर आये जिससे मालिक की तबियत ठीक हो।
फिर भी पापी मनुष्य गाय का महत्व न समझें।

जितनी गायों की संख्या बढ़ेगी, सोचिये कितने लोगों का भला किया जा सकता है।
*सुदर्शन चक्रधारी - भगवान कृष्ण ने पूरा जीवन गायों की सेवा की है ...है कुछ तो खास।*

।। *गौमाता का झंडा ऊंचा रहे *।।

शनिवार, 14 अप्रैल 2018

गाय का दूध और उसके गुण

गाय का दूध और उसके गुण
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 औटाये हुए दूध के गुण -  औटाया हुआ दूध (बिलकुल धीमी आंच पर उबला हुआ दूध विशेषकर गाय के गोबर कंडों पर) कफ और वात दोष को कम करने वाला होता है यानी सर्दी, जुकाम, जोड़ों का दर्द, कब्ज आदि में अत्यंत उपकारी होता है| औटाकर ठंडा किया हुआ दूध पित्त या शरीर की गर्मी को कम करता है| दूध में आधा पानी मिलाकर औटाया हुआ दूध जिसमें केवल दूध शेष रह जाए, पचने में अत्यंत हल्का और उपकारी होता है|

 बिना औटाया हुआ दूध – बिना औटाया हुआ दूध लगभग 5 घंटे और औटाया हुआ लगभग 10 घंटों तक पीने योग्य होता है| इसके अतिरिक्त बासी होने पर बिना दुर्गन्ध और ठीक-ठीक स्वाद वाला दूध ही पीना उचित है|

 गुड़ और शक्कर मिले दूध के गुण – देशी खांड, शक्कर या मिश्री (चीनी नहीं) मिलाया हुआ दूध शुक्रवर्धक और दोषनाशक होता है| जिन्हें पेशाब करते हुए दर्द होता हो उनके लिए गुड़ मिला दूध बहुत उत्तम औषधि है| यह पित्त और कफ बढ़ाने वाला होता है|

 समयविशेष पर दूध पीने के गुण – दोपहर से पहले दूध पीने पर दूध बलदायक, कफ-पित्त ख़त्म करने वाला, भूख बढ़ाने वाला, बच्चों के लिए उत्तम और गुर्दे की पथरी में विशेष लाभकारी होता है| रात में दूध पीने पर शरीर के लिए अनुकूल और आँखों की ज्योति के लिए बहुत उत्तम होता है|

 अवस्थानुसार दूध पीने के गुण – बाल्यावस्था में शरीर को बढ़ाने वाला और बलकारक| युवावस्था में बलकारक| बुढ़ापे में वीर्य की रक्षा करने वाला और उसे बढ़ाने वाला होता है|

 दूध किसे नहीं देना चाहिए – जिसे नया बुखार हुआ हो, भूख कम लगती हो, बदहजमी हुई हो, त्वचा रोग हुए हों, दर्द हो (हल्दी और सोंठ के साथ दे सकते हैं), कफ बढ़ा हुआ हो, खांसी हो, दस्त लगी हों और पेट में कीड़े हों तो उसे दूध नहीं देना चाहिए| दूध पीने से पेट के कीड़े बढ़ते हैं इसीलिए जिन बच्चों के पेट में कीड़े हों, उनका दूध कुछ समय के लिए बंद कर देना चाहिए|

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स्रोत एवं साभार – दैनिक जीवन में पंचगव्य उपयोग, कामधेनु प्रकाशन
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शनिवार, 7 अप्रैल 2018

सन्त वाणी - सन्त राजेन्द्रदासजी महाराज

"सन्त वाणी"
                "राजेन्द्रदासजी महाराज के मुख से"

    एक बात है जो बड़े विनोद की है, पर है अनुभव की। हमने तो साधुओं में यह देखा है कि जिसने गाय का गोबर उठाया, वह महन्त बन गया। कई उदहारण हमने ऐसे देखे हैं। अब महन्तों का नाम लेंगे तो उनको बुरा लगेगा कि देखो, महाराज मंच से हमको गोबर उठानेवाला कह रहे हैं, यद्यपि इसको सुनकर उनको अपने-आप में गौरव का अनुभव करना चाहिए।हमारे सामने के १०- २० उदाहरण ऐसे हैं, जो गौ का गोबर उठाते थे, अब बड़े-बड़े स्थानों के महन्त बन गये हैं। यद्यपि महन्त बनना कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है तथापि गोसेवा की महिमा की दृष्टि से यहाँ एक सामान्य दृष्टान्त प्रस्तुत है।
      श्रीअयोध्याजी में बड़ी छावनी एक स्थान है, यहाँ एक महन्त ऐसे हुए श्रीकौशलकिशोरदासजी महाराज, जो बहुत प्रतापी सन्त थे। उनके जमाने में ढाई हजार गायें थीं, बहुत लम्बी-चौड़ी खेती थी।उनके समय में गौसेवा, सन्तसेवा बहुत अद्भुत हुई।
     उनके जो गुरुदेव थे, वे शिष्य को महन्त बनाना चाह रहे थे। जिनको महन्त बनाना था, उस दिन वे उबटन लगाकर बढ़िया से स्नान कर रहे थे।बढ़ियासे स्नान करके तिलक लगाकर अँचला पहनकर आनेकी तैयारी में ही लगे थे। जब समय अधिक हो गया तो गुरुजी ने कहा, भाई ! क्या बात है, देर हो रही है, मुहूर्त निकला जा रहा है, पूजन भी होना है। सब लोग आ गये। महन्त जिसको बनना है वह कहाँ है ? बुलाओ उसको, किसी ने कहा-वे तो तैयार हो रहे हैं। अरे ! राम-राम-राम ! अभी तो महन्त बना नहीं, अभी से सजावट में लग गया तो फिर महन्त बनने पर तो अपनी ही सजावट करेगा ; गोसेवा, ठाकुरसेवा और सन्तसेवा तो करेगा नहीं, तो फिर ठीक है उसको सजावट करने दो, उसको बुलाने मत जाना और खुद उठे वहाँ से और उठकर घुमने लगे तो उन्होंने देखा कि बाजे बज रहे थे, महन्त बननेके लिये बड़ा उत्सव का माहौल था, पर एक बालक, जिसकी आयु १०-१२ वर्ष की रही होगी, गोशाला में गोबर उठा रहा था, उसे उत्सव से कोई मतलब ही नहीं था,वह गोसेवा में लगा था। हाथ गोबर से सने हुए थे। उसे देखकर गुरुजी बड़े खुश हो गये और बोले- 'गोसेवा करता है, गोबर उठाता है, महन्त बनने लायक तो यही है।' विप्र बालक था ही, तुरन्त उसका हाथ पकड़ा बोले- चल-चल। बोला- कहाँ गुरुजी ? कहाँ- चल तुझे गद्दीपर बिठाना है। वह बोला- गुरुजी ! हम तो बालक हैं। बोले- बालक नहीं, तुम गोसेवक हो।तुमको गद्दीपर बिठायेंगे, चलो, उसने कहा- हाथ-पैर धो आयें।तो बोले- नहीं, हाथ-पैर धो लोगे तो पवित्रता नष्ट हो जायगी। अभी तुम्हारे पैर में गोबर लगा है, हाथ में गोबर लगा है। इस समय महन्त बनोगे तो खूब गोसेवा करोगे, फिर मुहूर्त निकल जायगा, गोबर से सने हाथों से ही तुरन्त ले जाकर स्वस्तिवाचन करके उसे महन्त बना दिया। ये बालक ही कौशलकिशोरदासजी के रूप में विख्यात हुए। तो जिनके हाथ गोबर से सने हुए थे, वे कौशलकिशोरजी जब गद्दीपर बैठे तो इतनी गोसेवा और सन्तसेवा का विस्तार हुआ कि सर्वत्र आनन्द छा गया। वे महान, उदार, दानी और परोपकारी थे, गोसेवा के प्रभाव से अपार समृद्धि और सम्पत्ति उनके पास थी तो गाय अपनी सेवा करनेवाले की दरिद्रता को दूर कर देती है। इसलिये निवेदन है कि जिसे महान बनने की इच्छा हो, धनाढय बननेकी इच्छा हो, सच्चे अर्थमें श्रीमान् बननेकी इच्छा हो तो उसे गौका गोबर उठाना चाहिये।
       श्रद्धापूर्वक सेवा करनेवालेको गाय अपरिमित सम्पत्ति प्रदान करती है और गायकी यदि कृपा भरी दृष्टि जीवको प्राप्त हो जाय तो वह निश्चित ही उत्तम गतिको प्राप्त होता है।स्मृतियों में लिखा है- गायकी समता करने वाला धन इस ब्रह्माण्ड में दूसरा कोई नहीं है। गोधश सर्वश्रेष्ठ धन है, इससे बढ़कर धन कोई नहीं है. सम्पूर्ण देवता इसमें निवास करते हैं। आप विचार कीजिये, जिसके गोबर में लक्ष्मी हो, जिसके मूत्र में साक्षात् भगवती गंगा हो, उसकी महिमा का क्या कहना ! उसकी तो अनन्त परिमित महिमा है।गाय सर्वदेवमयी है और सर्ववेदमयी है- यह वाराहपुराण में लिखा है। इसलिये विद्या की प्राप्ति भी गायकी सेवासे और देवताओं की कृपा भी गायकी सेवासे प्राप्त हो जायगी। भगवान् वाराह कह रहे हैं- हे पृथ्वीदेवि ! अमृतको धारण करने वाली यह गाय तीनों लोकों का मंगल करती हुई विचरण कर रही है। तीर्थों में भी यह महान तीर्थ है, इससे बड़ा कोई दूसरा तीर्थ नहीं है। पवित्रों में भी यह पवित्र है, पुष्टियों में भी यह श्रेष्ठ पुष्टि है।
                        -सन्त राजेन्द्रदासजी महाराज
                       पुस्तक:- गोरक्षा एवं गोसंवर्धन
                      (गीता प्रेस गोरखपुर)

बुधवार, 4 अप्रैल 2018

देसी गाय का दूध क्यों हैं अमृत समान

देसी गाय का दूध क्यों हैं अमृत समान

गाय का दूध पृथ्वी पर सर्वोत्तम आहार है। उसे मृत्युलोक का अमृत कहा गया है। मनुष्य की शक्ति एवं बल को बढ़ाने वाला गाय का दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ इस त्रिलोकी में नहीं है। पंचामृत बनाने में इसका उपयोग होता है। गाय का दूध पीला होता है और सोने जैसे गुणों से युक्त होता है। केवल गाय के दूध में ही विटामिन ए होता है, किसी अन्य पशु के दूध में नहीं।

गाय का दूध अत्यंत स्वादिष्ट, स्निग्ध, मुलायम, चिकनाई से युक्त, मधुर, शीतल, रूचिकर, बुद्धिवर्धक, बलवर्धक, स्मृतिवर्धक, जीवनदायक, रक्तवर्धक, वाजीकारक, आयुष्यकारक एवं सर्वरोग को हरनेवाला है।

*कभी नहीं होगा कैंसर।*
देसी गाय की पीठ पर मोटा सा हम्प होता है ! जिसमे सूर्यकेतु नाड़ी होती हैं, जो सूर्य की किरणों के संपर्क में आते ही अपने दूध में स्वर्ण का प्रभाव छोड़ती हैं। जिस कारण गाय के दूध में स्वर्ण तत्व समा जाते हैं। देसी गाय का दूध पीने से कभी भी कैंसर का रोग नहीं होगा।

*दूध में अनेको खनिज और पौषक तत्व।*
वैज्ञानिकों के अनुसार गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन, 6 प्रकार के विटामिन, 21 प्रकार के एमिनो एसिड, 11 प्रकार के चर्बीयुक्त एसिड, 25 प्रकार के खनिज तत्त्व, 16 प्रकार के नाइट्रोजन यौगिक, 4 प्रकार के फास्फोरस यौगिक, 2 प्रकार की शर्करा, इसके अलावा मुख्य खनिज सोना, ताँबा, लोहा, कैल्शियम, आयोडीन, फ्लोरिन, सिलिकॉन आदि भी पाये जाते हैं।

इन सब तत्त्वों के विद्यमान होने से गाय का दूध एक उत्कृष्ट प्रकार का रसायन (टॉनिक) है, जो शरीर में पहुँचकर रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य को समुचित मात्रा में बढ़ाता है। यह पित्तशामक, बुद्धिवर्धक और सात्त्विकता को बढ़ाने वाला है। गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलोस्ट्रोल नहीं बढ़ता !

*ज़हर भी समा लेती हैं गाय।*
यदि गाय कोई विषैला पदार्थ खा जाती है तो उसका प्रभाव उसके दूध में नहीं आता। गाय के शरीर में सामान्य विषों को पचाने की अदभुत क्षमता है। ये ज़हर देसी गाय के गले के नीचे लटकने वाले मांस में ही रह जाता हैं। एक शोध किया गया जिस में हर रोज़ देसी गाय को और अमेरिकन गाय को भोजन में थोड़ा थोड़ा ज़हर दिया गया , और जब उनका दूध निकाला गया तो देशी गाय के दूध में कोई भी ज़हरीला तत्व नहीं मिला और अमेरिकन गाय में वही ज़हर पाया गया जो उसको खिलाया गया।

*अनेक बीमारियो में हैं इसके फायदे।*
गाय का दूध, जीर्णज्वर, मानसिक रोगों, मूर्च्छा, भ्रम, संग्रहणी, पांडुरोग, दाह, तृषा, हृदयरोग, शूल, गुल्म, रक्तपित्त, योनिरोग आदि में श्रेष्ठ है।

गाय को शतावरी खिलाकर उस गाय के दूध पर मरीज को रखने से क्षय रोग (T.B.) मिटता है।

कारनेल विश्वविद्यालय के पशुविज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर रोनाल्ड गोरायटे कहते हैं कि गाय के दूध से प्राप्त होने वाले MDGI प्रोटीन के कारण शरीर की कोशिकाएँ कैंसरयुक्त होने से बचती हैं।

गाय के दूध से कोलेस्टरोल नहीं बढ़ता बल्कि हृदय एवं रक्त की धमनियों के संकोचन का निवारण होता है। इस दूध में दूध की अपेक्षा आधा पानी डालकर, पानी जल जाये तब तक उबालकर पीने से कच्चे दूध की अपेक्षा पचने में अधिक हल्का होता है।

गाय के दूध में उसी गाय का घी मिलाकर पीने से और गाय के घी से बने हुए हलुए को, सहन हो सके उतने गर्म-गर्म कोड़े जीभ पर फटकारने से कैंसर मिटने की बात जानने में आयी है।

गाय के दूध में दैवी तत्त्वों का निवास है। गाय के दूध में अधिक से अधिक तेज तत्व एवं कम से कम पृथ्वी तत्व होने के कारण व्यक्ति प्रतिभा सम्पन्न होता है और उसकी ग्रहण शक्ति (Grasping Power) खिलती है। ओज-तेज बढ़ता है। इस दूध में विद्यमान ‘सेरीब्रोसाडस’ तत्व दिमाग एवं बुद्धि के विकास में सहायक है।

*रेडियोधर्मी विकिरणों के प्रभाव को भी कर देती हैं नष्ट।*
केवल गाय के दूध में ही Stronitan तत्व है जो कि अणुविकिरणों का प्रतिरोधक है। Russian वैज्ञानिक (प्रसिद्ध वैज्ञानिक शिरोविच) गाय के घी-दूध को एटम बम के अणु कणों के विष का शमन करने वाला मानते हैं और उसमें रासायनिक तत्व नहीं के बराबर होने के कारण उसके अधिक मात्रा में पीने से भी कोई ‘साइड इफेक्ट’ या नुकसान नहीं होता।

*तुरंत शक्ति देना वाला हैं इसका दूध।*
प्रतिदिन गाय के दूध के सेवन से तमाम प्रकार के रोग एवं वृद्धावस्था नष्ट होती है। उससे शरीर में तत्काल वीर्य उत्पन्न होता है।
एलोपैथी दवाओं, रासायनिक खादों, प्रदूषण आदि के कारण हवा, पानी एवं आहार के द्वारा शरीर में जो विष एकत्रित होता है उसको नष्ट करने की शक्ति गाय के दूध में है।