बुधवार, 17 जनवरी 2018

दिल दहलाने देने वाला गौमाता का कड़वा सच

यदि हम गौओं की रक्षा करेंगे तो 
गौएँ भी हमारी रक्षा करेंगी |’
सदियों से अहिंसा का पुजारी भारतवर्ष आज हिंसक और मांस निर्यात
 देश के रूप में उभरता जा रहा है
यह बड़ी विडम्बना है 

जहाँ हजारों गायें रोज कटती है
हजार गौएँ , इससे दुगुनी भैसें तथा पड़वे  काटे जाते हैइसका लगभग 20,000 टन मांस विदेशों में निर्यात होता है |

     गौमाता जो आजीवन हमें अपने दूधदहीघी आदि से पोषित करती हैअपने इनसुंदर उपहारों से जीवनभर हमारा हित करती हैऐसी गौमाता की महानता से अनभिज्ञहोकर मात्र उसके पालन-पोषण का खर्च वहन ना कर पाने के बहाने उन्हें कत्लखानों केहवाले करना विकास का कौन सा मापदंड है ? क्या गौमाता के प्रति हमारा कोईकर्त्तव्य नहीं है ?
   



क्या आप जानते हैं! जिस गौमाता की आप पूजा करते हैं
उसे किस प्रकार निर्दयतापूर्वक मारा जाता है ?

कत्लखाने में स्वस्थ गौओं को मौत के कुँए में 4 दिन तक भूखा रखा जाता हैअशक्तहोकर गिरने पर घसीटते हुए मशीन के पास ले जाकर उन्हें पीट-पीटकर खड़ा कियाजाता हैमशीन की एक पुली (मशीन का पकड़नेवाला एक हिस्सागाय के पिछले पैरोंको जकड़ लेती है | तत्पश्चात खौलता हुआ पानी 5 मिनट तक उस पर गिराया जाताहैपुली पिछले पैरों को ऊपर उठा देती हैजिससे गायें उलटी लटक जाती हैंफिर इनगायों की आधी गर्दन काट दी जाती है ताकि खून बाहर  जाये लेकिन गाय मरे नहीं |तत्काल गाय के पेट में एक छेद करके हवा भरी जाती हैजिससे गाय का शरीर फूलजाता है | उसी समय चमड़ा उतारने का कार्य होता है | गर्भवाले पशु का पेट फाड़करजिन्दा बच्चे को बाहर निकला जाता है | उसके नर्म चमड़े को (काफ-लेदरको बहुतमहंगे दामों में बेचा जाता है|




गाय की सुरक्षा : सर्वस्व की रक्षा 

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