शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

गौ माता केवल हिंदुओं की माता नही अपितु, समस्त विश्व की माता है।

गौ माता केवल हिंदुओं की माता नही अपितु, समस्त विश्व की माता है।


 माता केवल हिंदुओं की माता नही अपितु ‘गावो विश्वस्य मातरः’ गौवें समस्त विश्व की माता है।गाय समान रूप से विश्व के मानव मात्र का पालन करने वाली मां है। ‘माताः सर्वभूतानाम गावः सर्वसुखप्रदाः’ गाय सब प्राणियों की माता हैं और प्राणियों को सब प्रकार के सुख प्रदान करती हैं।
 
गाय माता सम्पतियों का भंडार हैं।
 
ऋग्वेद,यजुर्वेद,पद्यपुरण,स्कन्दपुराण,गौ माता सर्वदेवमयी ओर साक्षात विष्णु रूप है। भगवान राम के पूर्वज राजा दिलीप नंदिनी गाय के पीछे घूमते थे एक बार शेर ने गाय पर हमला कर दिया ।महाराज दिलीप ने गाय के बदले अपना शरीर अर्पण कर दिया भगवान परीक्षा ले रहे थे राजा पास हुआ और संतान प्राप्ति हुई वंश चला और उसी क्षत्रिय कुल में भगवान राम जैसे महापुरुष हुए।
 
द्वापर में भगवान कृष्ण का एक प्रिय नाम गोपाल है वे नंगे पांव गाय चराते थे ।इंद्र के प्रकोप को टालने के लिए ग्वालो के साथ गोवेर्धन पर्वत उठा गौमाता व समाज की रक्षा की।कृष्ण ने गौमाता सेवा की भविष्य में इतना ज्ञान हुआ के आज हम गीता के नाम से पढ़ते ओर जानते है।
 
शिव का वाहन भी नंदी हैं भारत के दक्षिण की ओंगोल नस्ल के सांड था जैन आदि तीर्थंकर} भगवान ऋषभदेव का चिन्ह भी बैल था।प्राचीन सिक्को ओर पिरामिड पर बैलो की मूर्तियां हैं।ईस्वी पूर्व छठी शताब्दी से भारत स्वतन्त्र होने तक गौ ओर वृषभ प्रायः अधिकांश शासको के सिक्कों पर अंकित रहते थे।
 
गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार धर्म,काम,मोक्ष,अर्थ में चारों फल गाय के चार थन है। दशम गुरु गोविंद सिंह ने चंडी दी वार में माँ दुर्गा भवानी से गो रक्षा की मांग की थी:-‘यही देहु आज्ञा तुर्क गाहै खपाऊ।गऊघात का दोष जग सिउ मिटाऊँ।यही आस पूर्ण करो तू हमारी,मिटे कष्ट गौअन छटे खेद भारी।भगवान बुद्ध को ज्ञान हुआ जब सुजाता ने गाय के दूध से बनी खीर खिलाई ओर खाते ही ज्ञान और मुक्ति का मार्ग मिला।
 
भगवान महावीर भी कहते है गो रक्षा बिना मानव रक्षा सम्भव नही।पैगम्बर हजरत मुहमद ने कहा हैं गाय का दूध रसायन,गाय का घी अमृत,तथा मास बीमारी है साथ ही गाय दौलत की रानी हैं।
 
ईसा मसीह ने कहा हैं एक बैल को मारना एक मनुष्य को मारने के समान है। दयानंद सरस्वती ने गौमाता के सम्बंध में ‘गो करुणा निधि ‘ में कहते है एक गाय अपने जीवन काल में 4 लाख 90 हज़ार 440 मनुष्यों का एक समय का भोजन जुटाती है जबकि उसके मास से 90 मासाहारी केवल एक समय का पेट भर सकते है।गांधी ने कहा है गौ रक्षा का प्रश्न स्वराज्य से के प्रश्न से भी अधिक महत्वपूर्ण है उनका कहना है गौमाता की रक्षा ईश्वर की सारी मूक सृष्टि की रक्षा करना है।प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने कहा था ”भारत में गौपालन सनातन धर्म है”।पूज्य देवराहा बाबा कहते थे जब तक गौमाता का रक्त भूमि पर गिरता रहेगा तब तक देश सुख शांति और धन धान्य से व कोई भी धार्मिक व सामाजिक अनुष्ठान पूर्ण नही होगा मतलब वंचित रहेगा।