बुधवार, 14 अक्तूबर 2015

5- गौ - चिकित्सा

5- गौ - चिकित्सा


..............गौ - चिकित्सा............ 

१ - गाय की बीसी उतरना --गाय के जड़ ,बाॅख पर व उससे ऊपर के हिस्से में सूजन आकर लाल हो जाता है यह बिमारी गर्भावस्था में अधिक होती है । बाॅख के ऊपर का हिस्सा पत्थर जैसा हो जाता है । और दुखता भी है , और बाॅख बड़ा दिखाई देता है । 
गर्म पानी में आवश्यकतानुसार नमक डालकर घोले और कपड़े से भिगोकर सिकाई करें और पानी के छबके मार दें । सिकाई करके ही ठीक होगा , सिकाई के बाद सरसों का तैल लगा कर छोड़ देवें । यदि गाय दूधारू है तो दूध निकालने के बाद सिकाई तैल लगायें । 

२ - एक ईंट को तेज़ गरम करके ऊपर को उठाकर थन से तेज़ धार मारे, ईंट पर दूध पड़ते ही जो भाप निकलेगी उससे ही बीसी ठीक होगी और गाय को मिठा न दें । 

३ -योनिभ्रशं रोग गाय- भैंस को-- छोटी दूद्धी ( हजारदाना ) को उखाड़ कर धोकर उसका रस निकाल लें,एक नाल भरकर प्रतिदिन सुबह सायं ३-४ दिन तक देवें , अधिक से अधिक ८ दिन दवाई दें, यदि रस्सीकी कैची बाँधने की स्थिति में भी दवाई अच्छा काम करती है । 

४ - गाय - भैंस के थन कटने पर --भाभड़ का पूराने से पूराना बाण ( रस्सी ) को जलाकर भस्म कर लें, और नौनी घी ( ताज़ा मक्कखन ) में भस्म को मिलाकर मरहम तैयार हो गया है , अब दूध निकालकर थन धोकर मरहम को लगाये , नित्य प्रति लगाने से जल्दी ही ठीक होगा । 

५ - गाय को पैचिस --यदि पैचिस हल्की होतों दो टी स्पुन फिटकरी पीसकर रोटी में रखकर दें दें।यह खुराक सुबह-सायं देने से २-३ दिन में ठीक होता है । 

६ - पेट के कीड़े -- एसे में दो टी स्पुन फिटकरीपावडर रोटी में रखकर गाय को खिलाये दिन मे एक बार , तीन चार दिन तक देने से पेट के कीड़े मर जाते है । 

७ - पैचिस यदि तेज़ हो और बदबूदार हो-- ऐसी स्थिति में किसान को हींगडा १ तौला लेकर चार खुराक बना ले , एक खुराक रोटी में रखकर या गुड़ में मिलाकर दें । बाक़ी खुराक सुबह- सायं देवें । 
#~ ध्यान रहे बिमारी की अवस्था में पशु को खल का सेवन न कराये । 

८ - गाय की आँख मे ढीड़ आना -- ताज़े पानी में नमक मिलाकर , पानी की घूँट भर कर गाय की आँख के ऊपर कुल्ला करें । दिन में तीन चार बार करें,२-३ दिन में ठीक हो जायेगा । 

९ - ठीक न होने वाला घाव या पशु की पूँछ गलना--एेसे में कुत्ते की कोई भी हड्डी लेकर पावडर बना लें, हड्डी पावडर १० ग्राम , सरसों तैल १०० ग्राम , एक छिपकली मारकर, तैल को आँच पर चढ़ा कर उसमें हड्डी पावडर डालकर, फिर मरी हुई छिपकली डालकर इतना पकायें कि छिपकली काली पड़ जाये तो उसे निकालकर फैंक दे । यह तैल तैयार है , तैल को नासूर , घाव , तथा पूँछ पर लगाये वह भी ठीक होगी । 

१० - खूर तिडकना -- कभी-कभी पशुओं के पैर के खूर तिडकना लगते है , या फटने लगते है, ऐसे मे सीताफल ( शरीफ़ा की पत्ती ) १२ ग्राम , चूना ९ ग्राम , शरीफ़े के पत्तों को बारीक पीसकर और चूने में मिलाकर ज़ख़्म में भरकर ऊपर से रूई रखकर पट्टी बाँधनी चाहीएे । 
# ~ भिलावें का तैल साढ़े चार ग्राम ज़ख़्म में भरकर , ऊपर से लाल लोहे से दाग़ लगाया जायें । इस प्रयोग से पशु को लाभ मिलेगा । 

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